वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत शाह गदा रहमान बिन अबी उल-हसन

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

मोलफ़ किताब आईना तसव्वुफ़ के मुताबिक़ आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत ११रजब एल्मर जब ८१२ हिज्री बरोज़ दो शंबा अस्र के वक़्त कश्मीर में हुई। आप के वालिद का ना म सय्यद अबुलहसन था।

आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने १३ शाबान ८२४ हिज्री बरोज़ यकशनबा मग़रिब के वक़्त हज़रत सय्यद शमस उद्दीन सहराई रहमतुह अल्लाह अलैहि से मौज़ा अज़ाब कश्मीर में ख़िलाफ़त हासिल की।

हज़रत हज़रत सय्यद शाह गदा रहमान बिन अबी उल-हसन१४ जमादी उलअव्वल ८९८ हिज्री बरोज़ पंजशंबह अस्र और मग़रिब के दरमयान इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप की आख़िरी आरामगाह कश्मीर में सुर्ख़ मस्जिद के क़रीब है।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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